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हमारी सेवाएँ
स्मार्ट फार्मिंग टेक्नोलॉजी
आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके खेती को अधिक प्रभावी और उत्पादक बनाने के लिए सेंसर, ड्रोन, सैटेलाइट इमेजरी और डेटा एनालिटिक्स का उपयोग।
फसल प्रबंधन सलाह
किसानों को उनकी फसलों के विभिन्न चरणों में, जैसे बीज बोना, सिंचाई, उर्वरक का प्रयोग और कटाई के समय पर सही सलाह और सुझाव प्रदान करना।
जैविक खेती गाइड
रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का प्रयोग न करते हुए, प्राकृतिक संसाधनों और जैविक विधियों का उपयोग करके स्वस्थ और टिकाऊ खेती के लिए मार्गदर्शन।
खेती उपकरण की आपूर्ति
खेतों में उपयोग होने वाले विभिन्न उपकरण, जैसे ट्रैक्टर, हल, पानी की होज़, और अन्य मशीनों की आपूर्ति और जानकारी।
विशेषताएँ
- उन्नत तकनीकी समाधान
- अनुभवी कृषि विशेषज्ञ
- 24/7 किसान सहायता
- किसानों के लिए विशेष छूट
हमारे साथ सफलता पाने वाले किसान
रमेश यादव, महाराष्ट्र: जैविक खेती से दोगुनी आय
जैविक खेती अपनाकर अपनी आय दोगुनी की।

महाराष्ट्र के सतारा जिले के किसान रमेश यादव ने पारंपरिक खेती छोड़कर जैविक खेती अपनाई। शुरुआत में उन्हें मुश्किलें आईं, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने उर्वरक के रूप में वर्मीकंपोस्ट और फसल के लिए देसी बीजों का इस्तेमाल करना शुरू किया। रमेश ने सब्जियां, फल और दलहन की जैविक खेती की और अपने उत्पाद को सीधे बाजार में बेचना शुरू किया।
परिणाम:
उनकी आय पारंपरिक खेती की तुलना में दोगुनी हो गई। अब वह आसपास के किसानों को जैविक खेती की ट्रेनिंग भी देते हैं।
कविता देवी, उत्तर प्रदेश: मधुमक्खी पालन से आत्मनिर्भरता
मधुमक्खी पालन अपनाकर अपनी आय दोगुनी की।

उत्तर प्रदेश की मेरठ जिले की कविता देवी पहले सिर्फ गेहूं और चावल की खेती करती थीं। 2022 में, उन्होंने कृषि विभाग की मदद से मधुमक्खी पालन शुरू किया। उन्होंने छोटे पैमाने पर शहद उत्पादन किया और स्थानीय बाजार में बेचना शुरू किया।
परिणाम:
आज कविता न केवल शहद बेचती हैं बल्कि वैल्यू-एडेड उत्पाद (जैसे, शहद आधारित क्रीम और साबुन) भी बनाती हैं। वह महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गई हैं और 20 से अधिक महिलाओं को मधुमक्खी पालन में प्रशिक्षित कर चुकी हैं।
मनोज कुमार, कर्नाटक: स्मार्ट सिंचाई से जल की बचत
स्मार्ट सिंचाई से जल की बचत

कर्नाटक के धारवाड़ जिले के मनोज कुमार ने अपने 5 एकड़ खेत में ड्रिप सिंचाई प्रणाली लगाई। उन्होंने मिट्टी परीक्षण करवाया और फसलों को आवश्यकतानुसार पानी और पोषक तत्व देना शुरू किया।
परिणाम:
ड्रिप सिंचाई के कारण उनकी पानी की खपत 40% कम हो गई और उत्पादन 30% बढ़ गया। आज वह अपनी तकनीकों को दूसरे किसानों के साथ साझा कर रहे हैं।
हरजीत सिंह, पंजाब: कृषि में ड्रोन तकनीक का उपयोग
ड्रोन तकनीक का उपयोग करके सुविधा जनक छिड़काव

पंजाब के मोगा जिले के हरजीत सिंह ने पारंपरिक खेती के साथ-साथ आधुनिक तकनीकों को अपनाया। उन्होंने ड्रोन का उपयोग कीटनाशकों और उर्वरकों के छिड़काव के लिए करना शुरू किया।
परिणाम:
इससे न केवल उनके समय और मेहनत की बचत हुई, बल्कि फसलों की गुणवत्ता भी बेहतर हुई। हरजीत अब अपने गांव के किसानों के लिए ड्रोन सेवा भी प्रदान करते हैं।
सुमति बाई, मध्य प्रदेश: महिला समूह के साथ सामूहिक खेती
महिला समूह के साथ सामूहिक खेती

मध्य प्रदेश के बेतूल जिले की सुमति बाई ने अन्य 15 महिलाओं के साथ मिलकर एक महिला समूह बनाया। उन्होंने सामूहिक खेती के लिए 20 एकड़ जमीन लीज पर ली और सब्जियां उगाना शुरू किया।
परिणाम:
उनका समूह अब पूरे क्षेत्र में ताजी और जैविक सब्जियों की आपूर्ति करता है। उनकी इस पहल ने गांव की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार किया।
प्रेरणा
ये कहानियाँ दिखाती हैं कि भारत के किसान आधुनिक तकनीकों, जागरूकता, और सामूहिक प्रयासों से न केवल अपनी आय बढ़ा रहे हैं बल्कि समाज में नई मिसाल भी पेश कर रहे हैं।